अध्याय-2 दो ध्रुवीयता का अन्त
NCERT SOLUTION CLASS XII POLITICAL SCIENCE IN HINDI
अध्याय-2 दो
ध्रुवीयता का अन्त
1.सोवियत
अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है ?
क) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी l
ख) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व नियंत्रण होना l
ग) जनता को आर्थिक आज़ादी थी l
घ) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य
करता था l
उत्तर- ग)
2. निम्नलिखित
का कालक्रमानुसार लगाएं ?
क) अफ़गान-संकट
ख) बर्लिन-दीवार का गिरना
ग) सोवियत संघ का विघटन
घ) रुसी क्रान्ति
उत्तर-निम्नलिखित का कालक्रमानुसार यह है l
क) रुसी क्रान्ति
ख) अफ़गान-संकट
ग) बर्लिन-दीवार का गिरना
घ) सोवियत संघ का विघटन
3. निम्नलिखित
में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नही है ?
क) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच
विचारधारात्मक लड़ाई का अन्त l
ख) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्कुल (सी o आई o एस o) का जन्म l
ग) विश्व-व्यवस्था के शक्ति-सन्तुलन में बदलाव l
घ) म्ध्य्पूर्ण में संकट l
उत्तर- घ
4. निम्नलिखित
में मेल बैठाए ?
1. मिखाइल
गोर्बाचेव
क) सोवियत संघ का उतराधिकारी
2. शॉक थेरेपी
ख) सैन्य समझौता
3. रूस
ग) सुधारों की शुरुआत
4. बोरिस येल्तसिन
घ) आर्थिक मांडल
5. वारसा
ड) रूस के राष्ट्रपति
उत्तर- निम्नलिखित के मेल उनके बराबर में है l
1. मिखाइल
गोर्बाचेव =
सुधारों की शुरुआत
2. शॉक थेरेपी
= आर्थिक मांडल
3. रूस
= सोवियत
संघ का उतराधिकारी
4. बोरिस येल्तसिन
=
रूस के राष्ट्रपति
5. वारसा
= सैन्य समझौता
5.रिक्त
स्थानों की पूर्ति करे-
क) सोवियत संघ राजनीतिक प्रणाली .............. की
विचारधारा पर आधारित थी l
ख) सोवियत संघ दुवारा बनाया गया सैन्य संग्ठन ............
था l
ग) .......... पार्टी का सोवियत राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा
था l
घ) ......... ने 1985 में सोवियत संघ में सुधारों की शुरुआत
की l
ड) ........ का गिरना शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक था l
उत्तर
क) समाजवाद l
ख) पैक्ट l
ग) साम्यवादी (कम्युनिस्ट ) l
घ) मिखाइल गोर्बाचेव l
ड) बर्लिन दीवार l
6. सोवियत
अर्थव्यवस्था को किसी पूँजीवादी देशो जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था
से अलग करने वाली किन्ही तीन विशेषताओं को स्प्ष्ट करों ?
उत्तर-
1. सोवियत
अर्थव्यवस्था समाजवादी अर्थव्यवस्था पर आधारित थी l
2. सोवियत
अर्थव्यवस्था योजनाबध्द और राज्य के नियंत्रण में थी l
3. सोवियत
अर्थव्यवस्था में भूमि और अन्य उत्पादक सम्पदाओं पर राज्य का ही स्वामित्व एवं
नियंत्रण था l
7. किन
बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए ?
उत्तर- गोर्बाचेव सोवियत संघ से सुधार के लिए निम्नलिखित
बाध्य है l
1. सोवियत संघ में
धीरे-धीरे नौकरशाही का प्रभाव बढ़ता गया तथा पूरी व्यवस्था नौकरशाही के शिकंजे में
फंसती चली गई l इससे सोवियत प्रणाली सत्तावादी हो गई तथा लोगों का जीवन कठिन होता चला गया
l
2. सोवियत व्यवस्था
में लोकतंत्र एवं विचार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नही पाई जाती थी l अतः इसमे सुधार की
आवश्यकता थी l
3. सोवियत संघ में
एक दल, साम्यवादी दल का प्रभुत्व था l यह दल किसी के प्रति
उत्तरदायी नही था यधपि सोवियत संघ में 15 गणराज्य शामिल थे, परन्तु प्रत्येक विषय में रूस का
प्रभुत्व था तथा वही सब प्रकार के महत्वपूर्ण निर्णय लेता था l इससे बाकी के गणराज्य स्वयं कों दमित एवं अपमानित अनुभव करते थे l
4. सोवियत संघ ने
समय-समय पर अत्याधुनिक एवं खतरनाक हथियार बनाकर अमेरिका की बराबरी की,परन्तु धीरे-धीरे उसे
इसकी बहुत कीमत चुकानी पड़ी l हथियारों पर अत्यधिक खर्चो के
कारण सोवियत संघ बुनियादी ढांचे एवं तकनीकी क्षेत्र में पिछड़ता गया l
5. सोविय संघ
राजनीतिक एवं आर्थक तौर पर अपने नागरिकों के समक्ष पूरी तरफ सफल नही हो पाया l
6. 1979 में अफ़गानिस्तान में
सैनिक हस्तक्षेप के कारण सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था और भी कमज़ोर हो गई l
7. उपभोक्ताओं को
वस्तुओं की कमी होने लगी l 1970 के दशक के अतः तक सोवियत अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी l
8.भारत
जैसे देशो के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर-भारत देश के लिए सोवियत संघ के विघटन के निम्नलिखित
कारण है l
1. सोवियत संघ के
विधटन से विश्व राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए l सोवियत संघ के विघटन के
बाद विश्व मे केवल अमेरिका ही एकमात्र महाशक्ति रह गया l इसी
कारण इसने भारत जैसे विकासशील देशो को सभी प्रकार से प्रभावित करना शुरु कर दिया l
2. भारत जैसे अन्य
विकासशील देशो की भी यह मजबूरी थी कि वे अपने विकास के लिए अमेरिका के साथ चले l
3. सोवियत संघ के
विघटन से अमेरिका का विकासशील देशो जैसे अफ़गानिस्तान,ईरान एवं इराक में
अनावश्यक हस्तक्षेप बढ़ गया l विश्व के महत्वपूर्ण संगठनों पर
अमेरिकी प्रभुत्व कायम हो गया, जिससे भारत जैसे देशो को मदद
लेने के लिए परोक्ष रूप से अमेरिकन नीतियों का ही समर्थन करना पड़ा l
9.शॉक
थेरेपी क्या थी ? क्या साम्यवाद से पूँजीवादी की तरफ सक्रमण
का यह सबसे बेहतर तरीका था ?
उत्तर- साम्यवाद से पूँजीवादी की तरफ सक्रमण बातों पर
ध्यानपूर्वक पढ़ते है l कुछ निम्नलिखित बातें है नीचे,
1. सोवियत संघ के
पतन के बाद रूस, पूर्वी यूरोप तथा मध्य एशिया के देशो मे साम्यवाद से पूँजीवादी की ओर
संक्रमण के लिए एक विशेष मांडल अपनाया गया l जिसे शॉक थेरेपी
(आधात पहुंचाकर उपचार करना ) कहा जाता है l विश्व बैंक एवं
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष दुवारा इस प्रकार के मांडल को अपनाया गया l
2. शॉक थेरेपी में
निजी स्वामित्व राज्य की सम्पदा के निजीकरण और व्यावसायिक स्वामित्व के ढांचे को
अपनाया पूँजीवादी पद्धति से कृषि करना तथा मुक्त व्यापार को पूर्ण रूप से अपनाना
शामिल है l वित्तीय खुलेपन तथा मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता भी महत्पूर्ण मानी गई l
परन्तु साम्यवाद से पूँजीवादी की ओर संक्रमण के लिए यह बेहतर तरीका
नही था क्योंकि पूंजीवादी सुधार तुरंत किये जाने की अपेक्षा धीरे-धीरे किये जानी
चाहिए थी एकदम से ही सभी प्रकार के परिवर्तनों को लोगों पर लादकर उन्हें आधात देना
उचित नही था l
10. निम्नलिखित
कथन के पक्ष या विपक्ष में एक लेख लिखें- दूसरी दुनिया के विधटन के बाद भारत को
अपनी विदेश- नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे परम्परागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य
अमेरिका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर- पक्ष या विपक्ष की बातों पर चर्चा
निम्नलिखित रूप से है l
1. दूसरी दुनिया के
विघटन के बाद भी भारत को अपनी विदेश-नीति बदलने की आवश्यकता नही है l भारत को अपने परम्परागत
एवं विश्वसनीय मित्र रूस से सदैव अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने चाहिए, क्योंकि रूस सदैव भारत की अपेक्षाओं पर खरा उतरा है
2. परन्तु अमेरिका
के विषय में यह बात पूर्ण रूप से नही कही जा सकती कि वह आगे चलकर भी भारत का साथ
देगा l अतः आवश्यकता इस बात की है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार
अमेरिका से सम्बन्ध बनाए तथा रूस के साथ पहले की तरह ही अच्छे सम्बन्ध बनाए रखे l
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